शिव धनुष टूटते ही सीता ने राम को पहनाई वरमाला : परशुराम के क्रोध से कांप उठे स्वयंवर में पहुंचे राजा
Kunwar Diwakar Singh
Sun, Sep 28, 2025
बौंडी, बहराइच। बौंडी के रामलीला मैदान में चल रही रामलीला के चौथे दिन राक्षस ताड़का और सुबाहु का आतंक समाप्त कर राम और लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुर प्रस्थान करते हैं। मार्ग में प्रभु श्रीराम ने महर्षि गौतम की शापित पत्नी अहिल्या का उद्धार किया। पुष्पवाटिका में प्रभु श्रीराम और माता सीता एक-दूसरे को देखकर प्रेमभाव का अनुभव करते हैं। महाराज जनक की सभा में प्रभु श्रीराम भगवान शंकर का धनुष तोड़कर राजा जनक की प्रतिज्ञा पूरी करते हैं और सीता माता उन्हें वरमाला पहनाती हैं। रामलीला में शनिवार की रात परशुराम-लक्ष्मण संवाद लीला का मंचन किया गया। लीला को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ रही। मिथिला में शिव धनुष भंग होने पर तपस्यारत भगवान परशुराम का ध्यान भंग हो जाता है और वे क्रोधित होकर मिथिला पहुंचते हैं। वहां उपस्थित राजाओं में भय व्याप्त हो जाता है। राजा जनक स्वयं उन्हें प्रणाम कर सीता का परिचय कराते हैं और विश्वामित्र श्रीराम-लक्ष्मण से परशुराम को प्रणाम कराते हैं। टूटे धनुष को देखकर परशुराम क्रोधित हो जाते हैं और राजा जनक से कारण पूछते हैं। इस पर लक्ष्मण उनके सामने आते हैं और दोनों के बीच संवाद चलता है। परशुराम के क्रोध को देखकर श्रीराम बोले हे नाथ! शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई एक दास ही होगा। क्या आज्ञा है, मुझसे क्यों नहीं कहते। यह सुनकर मुनि क्रोधित होकर बोले कि सेवक वह होता है जो सेवा करे, शत्रु का काम करके तो लड़ाई ही करनी चाहिए। हे राम! सुनो, जिसने शिवजी के धनुष को तोड़ा है, वह सहस्र बाहु के समान मेरा शत्रु है। वह इस समाज को छोड़कर अलग हो जाए, नहीं तो सभी राजा मारे जाएंगे। मंचन के दौरान लक्ष्मण एवं परशुराम के बीच हुआ संवाद दर्शकों में जोश और उत्साह का संचार करता रहा। इस दौरान समिति के पदाधिकारी प्रदीप मिश्रा, साकेत भूषण तिवारी, दिनेश तिवारी, सूरज जयसवाल, मिथिलेश शर्मा, संतोष तिवारी, अशोक कुमार त्यागी सहित कमेटी के सदस्य मौजूद रहे।
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